ए जिंदगी हम तुम्हे अपना समझ बैठे
खुद से ज्यादा तुमसे प्यार कर बैठे
तू तो हमारी हे ही नही
छोडके हमे निकल जाती हो कही
हर बार तुमसे डर बैठे
खुद से ज्यादा तुमसे प्यार कर बैठे
तुने हमे भगाया नाम कमाने के पीछे
हम कभी उपर थे तो कभी नीचे
हर वक्त सबसे आज भागते
आगे निकले न कोई जगते रहे
अपने स्वार्थ के लिए पागल बन बैठे
खुदसे ज्यादा तुमसे प्यार कर बैठे
हम तो भागे थे तुम्हारा सुख पाने के लिए
दोस्ती, रिश्ते-नाते सब गवा दिए
वक्त नही लगा अपनों को खोने मी
फिरसे धुंडणे लगे अपनों को बेगानों मी
तुम्हारे खातीर अपनों को दुश्मन बना बैठे
खुद से ज्यादा तुमसे प्यार कर बैठे
- विशाल गोविंदा नर्मलवार
मु. चारगाव पो.त.सावली जि. चंद्रपूर
मो.नं. ९२८४९७४७२१
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